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पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
जल संसाधन मंत्रालय
23-अक्टूबर-2017 16:16 IST


भूजल निकालने के लिए प्रारूप दिशा निर्देश पर प्रतिक्रिया मांगी गई

केन्‍द्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्‍ल्‍यूए) ने भूजल निकालने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ जारी करने का प्रारूप दिशा निर्देश और ‘जन सूचना’ प्रारूप को सभी राज्‍यों के मुख्‍य सचिवों और केन्‍द्र‍शासित प्रदेशों के प्रशासकों को भेजा है, जिस पर उन्‍हें 60 दिन के भीतर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है। राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण में काफी संख्‍या में दायर याचिकाओं के कारण अधिकरण की विभिन्‍न शाखाएं सीजीडब्‍ल्‍यूए को निर्देश दे रही हैं कि देश में नियमानुसार भूजल निकाला जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

इन दिशा निर्देशों से देश भर में एक समान नियामक प्रारूप सुनिश्चित होगा, ताकि नियमन की असमानता को समाप्‍त या कम किया जा सके। दिशा निर्देशों के प्रमुख संशोधनों में संपूर्ण देश का कवरेज, भूजल निकालने की मात्रा पर आधारित (जिले के राजस्‍व प्रमुख, एजेंसी/स्‍टेट नोडल एजेंसी/राज्‍य भूजल प्राधिकरण और सीजीडब्‍ल्‍यूए) अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकरणों का विकेन्‍द्रीयकरण, परियोजना प्रस्‍तावित करने वालों द्वारा, कृत्रिम रीचार्ज प्रस्‍तावों से संबंधित प्रावधानों के अनुरूप वितरण करना और कृत्रिम रीचार्ज संरचनाओं का निर्माण, रीचार्ज व्‍यवस्‍था के बदले जल संरक्षण शुल्‍क शुरू करना, प्रभावी भूजल प्रबंधन के लिए राज्‍यों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जल संरक्षण शुल्‍क के जरिए कोष बढ़ाना आदि शामिल हैं।

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-3(3) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गठित सीजीडब्‍ल्‍यूए देश में भूजल विकास और प्रबंधन का नियमन करता है। यह प्राधिकरण उद्योगों/बुनियादी ढांचा/खनन परियोजनाओं के वास्‍ते भूजल निकालने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करता है।

पूरा प्रारूप दिशा निर्देश सीजीडब्‍ल्‍यूबी की वेबसाइट पर उपलब्‍ध है और सार्वजनिक/राज्‍य सरकारों के हितधारकों की जानकारी के लिए एनओसीएपी (www.cgwb.gov.in, www.cgwa-noc.gov.in) पर देखें।

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
जल संसाधन मंत्रालय
20-अक्टूबर-2017 12:05 IST

देश के 91 प्रमुख जलाशयों की जल संग्रहण क्षमता में 2 प्रतिशत की वृद्धि

18 अक्टूबर, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 110.012 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 70 प्रतिशत है। 12 अक्टूबर, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 68 प्रतिशत था। 18 अक्टूबर, 2017 का संग्रहण स्‍तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 93 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 94 प्रतिशत रहा।
इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।
क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति
उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं।इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 14.00 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 78 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 72 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 79 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है,लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।
पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 14.79 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 79 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 86 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 77 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है,लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से बेहतर है।
पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में सीडब्ल्यूसी की निगरानी में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 20.82 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 77 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 86 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 79 प्रतिशत थी। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 26.94 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 64 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 91 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 72 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कम है और पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कम है।
दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 33.46 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 65 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 52 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 70 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर है लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कम है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, उत्तराखंड, एपी और टीजी (दोनों राज्‍यों में दो मिश्रित परियोजनाएं) आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। पिछले वर्ष की इसी अवधि के लिए पिछले साल की तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में राजस्‍थान, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल हैं।
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Anupam Mishra ji : Gandhian and Environmental activist  http://greenfeatures.blogspot.in/2017/01/anupam-mishra-ji-gandhian-and.html
EPW
Sustaining Water Regimes – The Work of Anupam Mishra
Author: Jyoti Raina, Economic and Political Weekly | January 28, 2017
Anupam Mishra’s work on how the indigenous water systems of Rajasthan have sustained a water regime not only made it possible for a robust civilisation to thrive in the desert but along with his writings on sustainable use of water, also inspired a college lecturer to find solutions to her domestic water problem.
A Clerk Who Saw the Genius in the Ordinary – Anupam Mishra (1947–2016)
Author: Sopan Joshi, Economic and Political Weekly | January 28, 2017
Anupam Mishra’s personal qualities characterised his work. There are others who researched and wrote about traditional water management in India with great depth and commitment. Mishra, however, saw himself as the voice of his people, his society. He did not see with the eyes of academic objectivity or impartial commentary, but with empathy and imagination. He noticed the environmental wisdom in the ways of ordinary people and appreciated the cultural threads and values that carried that wisdom from generation to illiterate generation.
वर्तमान कानून गंगा रक्षा में विफल                                               http://greenfeatures.blogspot.in/2017/02/blog-post_1.html
देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में दो प्रतिशत की कमी आई              http://greenfeatures.blogspot.in/2017/01/91.html
बांध सुरक्षा परियोजनाओं के लिए केंद्रीय जल आयोग का दो प्रमुख संस्थानों के साथ करार                  http://greenfeatures.blogspot.in/2017/01/91.html
Jal Thal Mal: An Exploration of Sanitation                        http://greenfeatures.blogspot.in/2017/01/jal-thal-mal-exploration-of-sanitation.html
the Dharna in Holi Village, Chamba                               http://greenfeatures.blogspot.in/2017/01/a-video-on-dharna-in-holi-village-chamba.html
Global Water Ethics & Indian environmental Philosophy            http://greenfeatures.blogspot.in/2017/01/global-water-ethics-indian.html
भारत में पानी और कृषि संकट -श्री पी. साईनाथ                         http://greenfeatures.blogspot.in/2016/06/blog-post.html
Arun kumar (pani baba)                                            http://greenfeatures.blogspot.in/2016/06/arun-kumar-pani-baba.html
THIRSTY INDIA HEADING FOR CRISIS               http://greenfeatures.blogspot.in/2016/06/thirsty-india-heading-for-crisis.html
GREEN FEATURES (APRIL: 15-30 FORTNIGHTLY) – WATER SPECIAL ISSUE               http://greenfeatures.blogspot.in/2016/05/green-features-april-15-30-fortnightly.html
WATER CONSERVATION : Shri Anupam Mishra & Shri Rajendra singh 
Drought Special Issue MAY 2016: 1-15 fortnightly  http://greenfeatures.blogspot.in/2016/05/v-behaviorurldefaultvmlo_27.html
INDIA WRIS wiki (Water Resource Information System) 
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