Wednesday, 31 January 2018

हिन्दुत्व को चुनौती देती 'संस्कृति के चार अध्याय'

हिन्दुत्व को चुनौती देती 'संस्कृति के चार अध्याय'

Poet Ramdhari Singh Dinkar's works 'Sanskriti ke Chaar Adhyaye' & 'Parshuram ki Pratiksha'

PM to inaugurate golden jubilee celebrations of Poet Ramdhari Singh Dinkar's works 'Sanskriti ke Chaar Adhyaye' & 'Parshuram ki Pratiksha'

नई दिल्ली : जिस किताब की प्रस्तावना पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखी हो और जिसके साठ साल होने के जलसे में आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत कर रहे हों, वो किताब सिर्फ किताब नहीं, बल्कि एक घटना भी है। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की रचना 'संस्कृति के चार अध्याय' की यात्रा निरंतर जारी है। यह किताब आज की भी किताब है। 'संस्कृति के चार अध्याय' के दूसरे संस्करण में दिनकर ने काफी बदलाव किए हैं। दूसरे संस्करण की भूमिका में दिनकर ने लिखा है, "पहले संस्करण के बाद जो विवाद हुआ उससे पता चलता है कि इस किताब से सबको तकलीफ़ पहुंची होगी। इस किताब के बारे में मंचों से जो भाषण दिए हए, उनसे यह पता चलता है कि मेरी स्थापनाओं से सनातनी भी दुखी हैं और आर्यसमाजी तथा ब्रह्मसमाजी भी। उग्र हिन्दुत्व के समर्थक तो इस ग्रन्थ से काफी नाराज़ हैं। मेरा विश्वास है कि मेरी कुछ मान्यताएं ग़लत साबित हो सकती हैं, लेकिन इस ग्रन्थ को उपयोगी माननेवाले लोग दिनोंदिन अधिक होते जाएंगे। यह ग्रन्थ भारतीय एकता का सैनिक है। सारे विरोधों के बीच वह अपना काम करता जाएगा।"

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