Fifth Gravitational Wave:
अभी तक की चार गुरूत्वाकर्षणीय तरंगों का उदय दो ब्लैक होल के विलय के कारण
हुआ था। परन्तु इस पाँचवीं तरंग को दो न्यूट्रॉन स्टार की टक्कर का परिणाम
माना जा रहा है।न्यूट्रॉन स्टार सुपरनोवा विस्फोट का अवशेष होते हैं। वे
लगभग पूरी तरह न्यूट्रॉन से बने होते हैं। इसके कारण ये घने एवं लघु आकार
के होते हैं। दरअसल, सामान्य तारे बाइनरी सिस्टम में एक जोड़े की तरह
एक-दूसरे का चक्कर लगाते रहते हैं। अतः खगोलविदों का ऐसा मानना था कि
न्यूट्रॉन स्टार भी ऐसा ही व्यवहार करते होंगे। ये बाइनरी न्यूट्रॉन स्टार
घूमते हुए ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और धीरे-धीरे अंदर की ओर खिंचते हुए
एक-दूसरे से टकरा जाते हैं। इनकी भिडंत से ही गुरूत्वाकर्षणीय तरंगें
उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार के विलय से रेडियो वेव से लेकर गामा रेज़ तक के
सभी इलैक्ट्रो-मैग्नेटिक स्पैक्ट्रम तक ऊर्जा फैल जाती है।
न्यूट्रॉन स्टॉर का यह विलय सोना, प्लेटिनम एवं यूरेनियम जैसे भारी-भरकम
रासायनिक तत्वों का स्रोत भी माना जाता है।गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों से जुड़े
खगोल विज्ञान ने पहली ऐसी तरंग को खोजने के बाद यह घोषित कर दिया था कि
भविष्य में शायद ही ऐसी तरंग खोजी जा सके। लीगो ने इसे संभव कर दिखाया है।
इतना ही नहीं, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में लीगो ऐसी घटनाओं पर
इलैक्ट्रोमैग्नेट, ग्रेवीटेशनल एवं उनके द्वारा उत्सर्जित न्यूट्रिनॉस एवं
प्रोटॉन पर नजर रखेगा।
कुछ समय पहले ही स्वीडन की रॉयल अकेडमी ऑफ
साइंस ने इस वर्ष का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार लीगो को देने की घोषणा की
और उसके तुरन्त बाद ही लीगो ने अब की अपनी श्रेष्ठतम खोज का परचम लहरा
दिया।
‘लीगो’ यानि लेज़र इंटरफेरोेमीटर
ग्रेवीटेशनल वेब ऑब्जर्वेटरी; जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इस
ऑब्जर्वेटरी का उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण संबंधी तरंगों का पता लगाना है।
अमेरिका में लगभग 3,002 कि.मी. दूर स्थित इसकी दो वेधशालाओं को हाल ही में
बाहरी अंतरिक्ष से आती तरंगें महसूस हुईं। लीगो ने इसे पाँचवीं
गुरूत्वाकर्षणीय तरंग बताया है।
इन गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों की खोज लगभग एक
शताब्दी पूर्व अल्बर्ट आईंस्टाइन ने अपने सापेक्षता के सिद्धांत के माध्यम
से की थी, जो वास्तव में गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत है।इसी कड़ी में 2015
में लीगो ने दूसरी गुरूत्वाकर्षणीय तरंग की खोज की थी। अब तक वह कुल तीन
तरंगों की खोज कर चुका था और अब यह पाँचवी तरंग की खोज है। लीगो समर्थकों
का मानना है कि इस तरंग के माध्यम से ब्रह्माण्ड में होने वाली अन्य
गतिविधियों पर नजर रखने में आसानी होगी, क्योंकि जिस घटना के कारण
गुरूत्वाकर्षणीय तरंगें उत्पन्न हुईं थीं, उसे भी टेलीस्कोप के माध्यम से
देखा जा सका है। यह टेलीस्कोप इलैक्ट्रामैग्नेटिक स्पैक्ट्रम के आर पार की
घटनाओं को देखने के भी काम आती है। इसका अर्थ वैज्ञानिकों ने यह निकाला है
कि आॅप्टिकल, रेडियो-फ्रीक्वेन्सी, एक्स-रे एवं गामा-रे ऑब्जर्वेशन को
गे्रवीटेशनल डाटा से संबंद्ध माना जाना चाहिए।
अभी तक की चार गुरूत्वाकर्षणीय तरंगों का
उदय दो ब्लैक होल के विलय के कारण हुआ था। परन्तु इस पाँचवीं तरंग को दो
न्यूट्रॉन स्टार की टक्कर का परिणाम माना जा रहा है।न्यूट्रॉन स्टार
सुपरनोवा विस्फोट का अवशेष होते हैं। वे लगभग पूरी तरह न्यूट्रॉन से बने
होते हैं। इसके कारण ये घने एवं लघु आकार के होते हैं। दरअसल, सामान्य तारे
बाइनरी सिस्टम में एक जोड़े की तरह एक-दूसरे का चक्कर लगाते रहते हैं। अतः
खगोलविदों का ऐसा मानना था कि न्यूट्रॉन स्टार भी ऐसा ही व्यवहार करते
होंगे। ये बाइनरी न्यूट्रॉन स्टार घूमते हुए ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और
धीरे-धीरे अंदर की ओर खिंचते हुए एक-दूसरे से टकरा जाते हैं। इनकी भिडंत से
ही गुरूत्वाकर्षणीय तरंगें उत्पन्न होती हैं। इस प्रकार के विलय से रेडियो
वेव से लेकर गामा रेज़ तक के सभी इलैक्ट्रो-मैग्नेटिक स्पैक्ट्रम तक ऊर्जा
फैल जाती है।
द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित लेख पर आधारित।
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