Monday, 30 January 2017

देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में दो प्रतिशत की कमी आई



(Water storage level of 91 major reservoirs of the country)

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
जल संसाधन मंत्रालय
27-जनवरी-2017 17:24


देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में दो प्रतिशत की कमी आई
25 जनवरी2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 80.597 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 51 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 127 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 100 प्रतिशत है।

इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम हैजो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।

क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति

उत्तरी क्षेत्र
उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेशपंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैंजो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। 25 जनवरी, 2017 की जलाशय भंडारण बुलेटिन के अनुसार इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 7.02 बीसीएम हैजो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 39 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 46 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 47 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कमतर है।

पूर्वी क्षेत्र
पूर्वी क्षेत्र में झारखंडओडिशापश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैंजो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 13.73 बीसीएम हैजो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 73 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 54 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 61 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

पश्चिमी क्षेत्र
पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैंजो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 17.25 बीसीएम हैजो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 64 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थियति 36 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 60 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

मध्य क्षेत्र
मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेशउत्तराखंडमध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैंजो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्धक संग्रहण 27.67 बीसीएम हैजो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 65 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 50प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 46 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

दक्षिणी क्षेत्र
दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी)तेलंगाना (टीजी)एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं)कर्नाटककेरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैंजो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्धण संग्रहण 14.93 बीसीएम हैजो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 29प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 27 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का49 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर हैलेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कमतर है।

पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें पंजाबराजस्थानझारखंडओडिशापश्चिम बंगालगुजरातमहाराष्ट्रउत्तर प्रदेश,  मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं)तेलंगाना एवं कर्नाटक शामिल हैं। इसी अवधि के लिए पिछले साल की तुलना में कम भंडारण होने वाले राज्य हैं - हिमाचल प्रदेशत्रिपुराआंध्र प्रदेशकेरल और तमिलनाडु।

SOURCE: http://pib.nic.in/newsite/PrintHindiRelease.aspx?relid=59277


पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
जल संसाधन मंत्रालय
27-जनवरी-2017 17:24


बांध सुरक्षा परियोजनाओं के लिए केंद्रीय जल आयोग का दो प्रमुख संस्थानों के साथ करार
      जल संसाधन नदी विकासगंगा संरक्षण मंत्रालय के अधीन केंद्रीय जल आयोग ने आज देश के दो प्रमुख संस्‍थानों के साथ बांधों की सुरक्षा को और अधिक उन्‍नत बनाने के लिए करार किया है। यह समझौता राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) मद्रास एवं भारतीय विज्ञान संस्‍थान बंगलूरू के साथ किया गया है। इन करारों से आयोग को उन्‍नत एवं विशेष उपकरण एवं सॉफ्टवेयर की खरीद में मदद मिलेगी जो बांध पुनर्वास एवं सुधार परियोजनाओं के लिए मददगार साबित होगा।
       जल संसाधन नदी विकासगंगा संरक्षण मंत्रालय ने विश्‍व बैंक द्वारा सहायता प्राप्‍त बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) में सहायता के लिए देश के चुनिंदा शैक्षिणक एवं शोध संस्‍थानों का चयन किया है। इससे जांच प्रयोगशालाओं के सुदृढि़करण और उनकी विश्‍लेषणात्‍मक क्षमता में वृद्धि को मदद मिलेगी। इससे बांध सुरक्षा की चिंताओं से इन संस्‍थाओं के विशेषज्ञों को मौके पर परिचित कराने का अवसर भी प्राप्‍त होगा।
       बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (डीआरआईपी) योजना के तहत उन 250 बांधों के पुनर्वासों में मदद की जा रही हैजिन्‍हें इसकी आवश्‍यकता है। इस तरह के बांधों को पुनर्वास के लिए तकनीकी सहायता की बहुत आवश्‍यकता है। भारत सरकार ने तय किया है कि देश के चुनिंदा संस्‍थानों का बांध सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता संवर्धन किया जाएगा ताकि वे बांध सुरक्षा से संबंधित प्रशिक्षण एवं सलाहकार सेवाएं उपलबध करा सकें।  
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SOURCE: http://pib.nic.in/newsite/PrintHindiRelease.aspx?relid=59279




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