इंडियन सीड कांग्रेस,2017 के उद्घाटन के अवसर पर केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह का भाषण
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पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
कृषि मंत्रालय
13-फरवरी-2017
मैं, इंडियन सीड कांग्रेस,2017 के उद्घाटन के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर प्रसन्नता का अनुभव कर रह हूं। मैं अपने देश के कृषि क्षेत्र के विकास हेतु आपके साथ अपना अनुभव साझा करना चाहता हूं। मुझे देश के भीतर और देश के बाहर बीज की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए बीज उद्योग से मुझे काफी अपेक्षाएं हैं। मैं यह जानकर प्रसन्न हूं कि सीड कांग्रेस का विषय ‘‘सीड ऑफ ज्वाय’’ है जो वर्ष 2022 तक कृषि आय को दोगुना करके भारतीय किसानों के जीवन में खुशी और समृद्धि लाने के लिए इस सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है। बीज उद्योग हमारी कृषि का महत्वपूर्ण पहलू है इसलिए इस उद्देश्य की प्राप्ति में उसे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
200 मिलियन से भी अधिक भारतीय किसान और कृषि कामगार भारतीय कृषि की रीढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा हासिल करने के बावजूद भी कृषक समुदाय का कल्याण हमारी सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय रहा है। इस पर विचार करते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय किसान नीति तैयार की है जिसका उद्देश्य भारतीय कृषि के व्यापक अप्रयुक्त विकास क्षमता को वास्तविकता का जामा पहनाना, त्वरित कृषि विकास में सहायता करने के लिए ग्रामीण आधारभूत सुविधाओं का विकास करना, मूल्यवर्धन को बढ़ावा देना, कृषि-व्यवसाय के विकास में तेजी लाना, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना, किसानों और कृषि कामगारों तथा उनके परिवारों की बेहतर आजीविका स्तर को सुनिश्चित करना, शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को हतोत्साहित और आर्थिक उदारीकरण और वैश्विकरण से उत्पन्न चुनौतियां का सामना करना है।
किसानों की आय दोगुना करने के लिए माननीय प्रधान मंत्री के सक्षम दिशानिर्देश के तहत कईं स्कीमें शुरू की गई हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, नीम लेपित यूरिया और ई-राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना हमारे कुछ मुख्य कार्यक्रम हैं जिसका लक्ष्य हमारे किसानों की उत्पादकता और आय में सुधार लाना है।
कृषि क्षेत्र में उपयुक्त विकास के कारण कृषि में एग्री वेयर हाउसिंग, शीत श्रृंखला, आपूर्ति श्रृखंला, डेयरी, कुक्कुट पालन, मांस, मात्स्यिकी, बागबानी, कृषि यंत्रीकरण के साथ-साथ सूक्ष्म सिंचाई के क्षेत्रों में कुशल युवाओं हेतु रोजगार के अवसर सृजित किए गए हैं। इन क्षेत्रों में ग्रामीण युवाओं हेतु अवसर और कौशल प्रदान करने के लिए कौशल भारत मिशन का उपयोग किया जा रहा है।
इस मंच पर मैं, किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी जी द्वारा निर्धारित 7 सूत्री कार्यक्रम पर जोर देना चाहूंगा। ये हैं :
- ‘’प्रति बूंद, अधिक फसल’’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारी बजट के साथ सिंचाई पर पर्याप्त ध्यान देना ।
- प्रत्येक खेत की मृदा के गुणवत्ता पर आधारित गुणवत्ता प्रदत्त बीजों और पोषक तत्वों का प्रावधान करना ।
- कटाई के पश्चात फसल को होने वाली हानि को रोकने के लिए वेयर हाउसिंग और शीत श्रृंखलाओं में भारी निवेश को बढ़ावा देना ।
- खाद्य प्रसंस्करण के जरिए मूल्य वर्धन को बढ़ावा देना।
- 585 केंद्रों पर कमियों को दूर करते हुए राष्ट्रीय कृषि मंडी और ई-प्लेट फार्म का सृजन ।
- वहन करने योग्य लागत पर जोखिमों को कम करने के लिए नई फसल बीमा योजना लागू करना।
- कुक्कुट पालन, मधु मक्खी पालन और मछली पालन जैसे सहायक कार्यकलापों को बढ़ावा देना।
मित्रो,
हमारे बीज उद्योग ने कृषि और बागबानी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के जरिए कृषकों की आय बढ़ाने की दिशा पिछले 4 दशकों में काफी प्रगति की है। 70 के दशक में अधिक उपज देने वाली किस्मों और संकरों के विकास और उपयोग से देश में हरित क्रांति आई है। बाद में विभिन्न चरणों पर सरकार द्वारा किए गए नीतिगत पहलों से किसानों को गुणवत्ताप्रद बीज की उपलब्धता में सुधार हुआ है।
वर्ष 1988 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नई बीज विकास नीति से विश्व में कहीं भी उपलब्ध सर्वोत्तम पौध रोपण सामग्री प्राप्त करने में भारतीय किसानों को सहायता मिली है। नई बीज नीति का मुख्य प्रभाव यह है कि आज भारत में बहुत बड़े क्षेत्रफल में स्ट्राबेरी, रस्पबेरी, ब्लूबेरी, डेट पाम और ऑयल पाम जैसी नई फसलों की खेती की जा रही है तथा वर्तमान में देश में फलों और कृषि फसलों की बेहतर और उन्नत किस्में उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा की गई विभिन्न नीतिगत पहलों के परिणामस्वरूप देश में प्रमाणित/गुणवत्ताप्रद बीजों की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। यह 60 के दशक के दौरान 40 लाख क्विंटल से भी कम थी जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 370 लाख क्विंटल हो गई है।
भारत में विविध कृषि जलवायुवीय क्षेत्र हैं तथा इन कृषि जलवायु क्षेत्रों के अनुरूप उन्नत किस्मों के गुणवत्ताप्रद बीजों की उपलब्धता हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस पर विचार करते हुए कृषि एवं सहकारिता विभाग ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे गुणवत्ताप्रद बीजों की वर्षवार, मौसमवार आवश्यकता पूरी करने के लिए किस्मवार सीड रोलिंग प्लांट तैयार करें। इस सीड रोलिंग प्लान से बीज प्रतिस्थापन दर तथा किस्म प्रतिस्थापन दर में सुधार जैसे दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति होगी ताकि सतत (सस्टेनेबल) कृषि उत्पादन और उत्पादकता सुनिश्चित किया जा सके।
मैं इस अवसर पर देश की खाद्यान्न संबंधी बढ़ती मांगों को पूरा करने में अपने किसानों और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विश्वसनीय और कड़ी मेहनत की सराहना करना चाहूंगा। वास्तव में वे राष्ट्र के सच्चे नायक हैं। तथापि, विभिन्न जलवायुवीय स्थितियों के तहत खेती करने के लिए नई और उन्नत किस्मों तथा जैव और अजैव दबावों के प्रति सहनशील किस्मों के विकास के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष अभी भी काफी चुनौतियां हैं।
भारतीय बीज मंडी का तेजी से विकास हो रहा है तथा हाल ही में सब्जियों और अनाजों की संकर बीज मंडी में काफी विकास हुआ है। हम भारी मात्रा और कम मूल्य के खाद्यान्न, अनाज फसलों के विकास पर भी समान रूप से ध्यान देते हैं क्योंकि इनका कार्य मुख्यत: हमारे सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है। भारतीय बीज उद्योग वैश्विक बाजारों में बीज की आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख उद्योग बन सकता है। भारत के पास अन्य देशों की तुलना में सस्ती लागत पर अधिक मूल्य वाले सब्जी बीजों के विशेष संदर्भ में संकर बीज उत्पादन की भारी क्षमता है क्योंकि इसके पास विविध कृषि जनवायुवीय क्षेत्र और कुशल मानव संसाधन है जो यह खासकर अधिक मूल्य वाली पालिनेटेड सब्जियों, खेत की फसलों और फूल के बीजों के निर्यात के लिए विविध बीज उत्पादन के वास्ते विविधतापूर्ण कृषि जलवायु क्षेत्र प्रदान करता है। सब्जियों के अलावा, संकर मक्का, धान, बाजरा और कपास के बीजों को एसईआई और अफ्रीकी देशों में निर्यात करने की भारी क्षमता है।
मेरा मंत्रालय विनियामक फ्रेमवर्क को मुख्य धारा में लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है ताकि इसे दूरगामी, पारदर्शी और प्रगामी बनाया जा सके। मैं आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि हमारी सरकार घरेलू रूप से तथा अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में इससे भी अधिक उपज बढ़ाने के लिए आपकी मदद करने करने का भरसक प्रयास कर रही है। हम पारदर्शी और सतत रूप से आपके विकास के लिए वचनबद्ध हैं।
मेरे विचार से हम सभी के लिए ऐसा समय आ गया है कि वैश्विकरण और उदारीकरण से उत्पन्न अवसरों का उपयोग करने के लिए हम परस्पर सहयोग और तालतेल के साथ काम करें। हमारे पास भारी क्षमता है; विश्व हमारे साथ है और वैश्विक मंडी में अपने उत्पादों को भेजने के लिए हम कोई भी योजना बना सकते हैं। यह समय की पुकार है कि हम समन्वय और समझ से काम करें, उत्पादन की आवश्यकता को समझें और यह मूल्य को नियंत्रित करने में आपूर्ति और मांग के अंतर को पूरा करने में मदद करेगी।
साथ ही अपने मंत्रालय की ओर से हम समग्र कृषि जिंसों का निर्यात बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं ताकि किसानों को अधिक लाभ मिले और आय में सतत वृद्धि की जा सके। भारत के पास 70000 करोड़ रु. का निवल कृषि व्यापार अधिशेष है और हमें इसमें और वृद्धि करने की आवश्यकता है। भारत खाद्य और कृषि हेतु पादप आनुवांशिक संसाधन पर अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षरकर्त्ता देश है तथा साथ ही ओईसीडी बीज स्कीम का सदस्य भी है। हम विभिन्न प्रकियाओं को व्यवस्थित कर रहे हैं ताकि आप पूर्णरूपेण और सुरक्षित किस्मीय प्रणाली के विकास और बीज बहुलीकरण का मार्ग प्रशस्त कर सके। इसके द्वारा भारत से बीज के निर्यात में वृद्धि होगी।
भारतीय बीज कांग्रेस,2017 सभी हितधारकों को बीज क्षेत्रों में एक ऐसा अवसर उपलब्ध करा रही है जिसमें किसानों और राष्ट्र को किस प्रकार से दिया जाए इस बात पर लिए चिंतन एवं विचार-विमर्श कर सकें। मैं यहां मौजूद सभी प्रतिनिधिमंडलों और प्रतिभगियों से आग्रह करूंगा कि वे सभी सक्रिय रूप से इस विचार-विमर्श में भाग लेकर रचनात्मक योजना और सिफारिशों के साथ आगे आएं ताकि हम किसानों के जीवन में खुशहाली लाने संबंधी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। हमारी सरकार बीज उद्योग के रचनात्मक प्रयासों में सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं आशा करता हूं कि इस कांग्रेस के जरिए भारतीय बीज उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए एक सशक्त आधार प्राप्त होने के साथ उसे वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी स्थान भी प्राप्त होगा।
धन्यवाद
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